💐आये हैं💐…मधु तिवारीप्रियतम जब से आए हैंबनके बसंत वे छाए हैंखिले हुए हैं कली कली मेदेख मुझे मुसकाए हैंप्रियतम जब से आए हैंतरु नये वस्त्र पहन रहेशीतल मंद सुगंध बहेप्रकृति हर कण कणमदन रति के बाण सहेभौंरे संग गीत गाए हैंप्रियतम जबसे आए हैंखिल गये सरसों पीले पीलेउसे पता है हम तुम मिलेखेतों मे छाई हरियालीअरहर,अलसी,बाजरे फूलेझूमे सब लहराए हैंप्रियतम जबसे आए हैंचली गई है ठंड कड़कतेआई न है ग्रीष्म भड़कतेपंछी रंग बिरंंगे चहकेतरु- तरु मे पंख फड़कतेसब मिलके रंग जमाए हैं प्रियतम जबसे आए हैंदेखो प्रिय सजे हैं बागकोयल भी छेड़ी है रागआम्रतरु मंजरियाँ दिखतेसोने के मोती औऱ ताग मन प्रेम के गीत सुनाए हैंप्रियतम जब से आए हैंदेखो कैसा संयोग हैबसंत ऋतु का योग हैमुझ संग लगा तुझे भीप्रेम का प्यारा रोग हैये मीठा दर्द जगाये हैप्रियवर जबसे आए हैं✍🏻श्रीमती मधु तिवारी, दुर्ग छत्तीसगढ़💐💐
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Bahut Sundar, Madhu ji…
thanks anuji…………….
बहुत ही सुन्दर रचना ।
धन्यवाद भावना जी……………..
वाह…क्या बात है….मधुर…मनोहारी…..
धन्यवाद शर्मा जी………………..
बहुत ही सुंदर…… लाजवाब रचना…. मधु जी…..
thanks kajal ji……………..
Behad sundar rachnaa Madhu Ji ……………
thanks shishir ji……………….
basant ke sital mand sugandh…. kya kahne hain . bahut lajawav rachna.
thanks bindu ji………….
सुन्दर मनभावन रचना………….अप्रितम मधु जी।
हार्दिक आभार सर ……………………