*मेरा कसूर नहीं..*इससे ज्यादा मेरा कसूर नहीं||मुझ पर चलता तेरा गुरूर नहीं।।तेरी फितरत ने तुझ को दूर किया,मेंरी नजरों में दिल से दूर नहीं।तेरी हर हाँ में हाँ करूँ यूँ ही,अब्द बन के तेरा जरूर नहीं।रंजों ग़म सारे भूल जाऊँ पर,तेरी आँखों में वो सुरूर नहीं||अपनी किश्मत से आज जिन्दा हूँ,अब भी मैं कहता ‘जी हजूर’ नहीं।अश्किया अब भी मेरी नजरों में,तेरे जैसा है कोहिनूर नहीं। -‘अरुण'(अब्द=दास,अश्किया=जुल्म करने वाला)
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अरुणजी…बहुत सुन्दर…..पर मुझे लगता है की ‘अब्द’ की जगह कहीं ‘आबिद’ तो नहीं लिखना चाहते थे..टंकण त्रुटि से अब्द हो गया हो …क्यूंकि मेरे पास जो शब्दकोष है उर्दू का उसमें ‘अब्द’ मतलब “वर्ष, नागरमोथा, आकाश, पर्वत, कपूर, जल देने वाला जैसे की मेघ” लिखा है… आबिद मतलब “प्रशंसक, पुजारी, भक्त” होता उसको दास के लिए प्रयोग किया हो…
जी प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार सर।
अब्द ही है सर।इसका आशय दास या गुलाम से होता है। वह गुलाम जो हर बात मान लेता हो।
Lovely creation ……………..i agree with BABBU Ji observation …!
सादर आभार सर
सुंदर अनुभूति अरुण जी।
सादर आभार सर
Bahut Sundar rachna…
सादर आभार
Arun is rachnaa me kohinoor se pyaar bhi hai gussa bhi . Badi kashmakash hai Bhai.
जी
भाव आप तक पहुच पाये यह मेरी खुशनसीबी है। आपसे विशेष प्रेरणा मिलती है।
बहुत ही सुंदर……… अरुण जी…….
सादर आभार काजल जी