आत्मा की आवाज़यू ही गुजर गये कई सौ जमानेचुनौती खड़ी है सीना अपना तानेलाचार बनकर कब तक जियेंगेसहारे की कब तक प्रतीक्षा करेंगेमाँगो मत किसी से जिसको सँभालोआज अपने भीतर के देव को जगाओमाता तुम अपनी धरती को कहते होसपूत होने का दम भरते होइस पावन रिश्ते का कुछ तो सिला दोमाता को अपनी कुछ करके दिखा दोअटकते हो उलझते हो बेजान सवालों मेंहुनर को लगाते हो उलझती सी चलो मेंसमझ लो परख लो अग्नि परीक्षा लोखरा निकले एक ऐसी शिक्षा लोआगे बड़ने के लिए सुकर्म करना होगाआपस की दूरी को कम करना होगासजा लो एक सुन्दर भारत की तस्वीरखुद ही के हाथों में होती है अपनी तक़दीरकरके करिश्मा दुनिया को दिखा दोभारत को फिर से सोने की चिड़िया बना दो©मु.जुबेर हुसैन”कविराज”गोड्डा, झारखण्ड
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अति सुंदर ………………………प्रेरक भावो से सजी सुंदर रचना !
आपने प्रतिक्रिया दी,,,, बहुत बहुत आभार आपका
Ati sundar …….
बहुत बहुत आभार
अति सुन्दर रचना
बहुत बहुत Aआभार,,🙏
बहुत ही बढ़िया……..
🙏🙏 आभार आदरणीय
bahut khoobsoorat………..
बहुत बहुत आभार आदरणीय
bahut pyari rachna …. kuchchh mere rachna aapki praktixchha mein.
बहुत बहुत आभार आदरणीय