उम्मीद है ये मुझको इंतजार करोगे फिर से अपनी प्रीत का इकरार करोगे जो ना कह सके देख ज़माने को सामने तन्हाइयों में फिर से वो इजहार करोगेअधूरी पड़ी है ज़िन्दगी एक तेरे बिनसीने से लग पूरा मेरा संसार करोगेमुसीबत कोई भी आए ज़माने की सामने बेरुखी का कह दो अब ना वार करोगेचलती नहीं मधुकर ये सांसें अब तुम्हारे बिन कह दो सदा नज़रों से तुम दुलार करोगेशिशिर मधुकर
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बहुत खूबसूरत …………………..!!
तहे दिल से शुक्रिया निवतिया जी…..
Kya khub Kaha Hai shishir Sahab “जो ना कह सके देख ज़माने को सामने
तन्हाइयों में फिर से वो इजहार करोगे” bahut khub
तहे दिल से शुक्रिया राजीवजी…..
बढ़िया लिखा आपने सर
बधाई कबूल करें।
बहुत बहुत धन्यवाद अरुण……..
बहुत खूब कहा है सर।
धन्यवाद भावना जी……..
बहुत खूबसूरत………..
तहे दिल से शुक्रिया बब्बू जी……
बहुत खूबसूरत शिशिर जी।
Dhanyavaad Bindu ji ……….
बहुत ही सुंदर रचना….. मधुकर जी….
तहे दिल से शुक्रिया काजल….
Bahut hi sundar rachna, Shishir ji…
Tahe dil se shukriya Anu…………………
sundar sundar gazal likhne me mahir hai sir aap……badhiya …
Aapke shabdon ke lie tahe dil se shukriya ………
Thank you sir for this heart touching poem. The beauty of the poem is that what we wanted to say, it have the same feelings.
Appreciate your comment ……..
जो ना कह सके देख ज़माने को सामने
तन्हाइयों में फिर से वो इजहार करोगे
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शब्दों में ही तीर जैसी तीव्रता है शिशिर जी
लगता है दिलजलों पर यूं ही प्रहार करोगे ……..
Aapke Anmol shabdon ke lie tahe dil se shukriya Ram Gopal ji …….