तेरी दुआओं में इतना असर हैकि मेरे घरवालों को तेरी खबर है
तू मेरे पास कुछ इस कदर हैनीम के पास चन्दन का शजर है
दूर है मुझसे तो क्या हुआतुझ पर नजर आठों पहर है
बहती गंगा में हाथ धो तो लूँलेकिन इसमें रहता कोई मगर है
सुना है कोई प्यासा मर रहा हैजिसकी खुद की एक नहर है
बेवफाई होती क्यों जल्दी हैलगता है वफ़ा कोई बड़ा जहर है
कवि – मनुराज वार्ष्णेय
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत ही सुन्दर रचना।
धन्यवाद भावना जी …
bahut badiya Manuraj jee….
धन्यवाद बिंदवेश्वर जी …..
अति सुंदर ……………………और बेहतर की गुंजाइश नजर आती है है इस रचना में !
धन्यवाद निवातिया जी ..
बहुत ही सुंदर…..
बहुत बहुत आभार काजल जी …..