Homeतुलसीदासजो मोहि राम लागते मीठे जो मोहि राम लागते मीठे विनय कुमार तुलसीदास 28/03/2012 No Comments जो मोहि राम लागते मीठे। तौ नवरस, षटरस-रस अनरस ह्वै जाते सब सीठे॥१॥ बंचक बिषय बिबिध तनु धरि अनुभवे, सुने अरु डीठे। यह जानत हौं ह्रदय आपने सपने न अघाइ उबीठे॥२॥ तुलसीदास प्रभु सो एकहिं बल बचन कहत अति ढीठे। नामकी लाज राम करुनाकर केहि न दिये कर चीठे॥३॥ Tweet Pin It Related Posts कौन जतन बिनती करिये और काहि माँगिये, को मागिबो निवारै काहे ते हरि मोहिं बिसारो About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.