झुकी हुई नज़रों से ये इज़हार करते हैंखुद से ज्यादा उन्हें हम प्यार करते हैंसुर्ख़ लबों पर कितने गुलाब खिल उठेंचूमकर पेशानी जब वो इक़रार करते हैं,झुकी हुई नज़रों से ये इज़हार करते हैंखुद से ज्यादा उन्हें हम प्यार करते हैं,,,,,,,,तसव्वुर में हम खो गए इस क़दरसारी दुनिया से हम हो गए बेख़बरकितने हसीं हैं उनके ख़यालों के मंज़रकि दर्द सारे मेरे हो गए हैं बेअसर,बंद आँखों से हम उनका दीदार करते हैं,झुकी हुई नज़रों से ये इज़हार करते हैंखुद से ज्यादा उन्हें हम प्यार करते हैं,,,,,,,,बज उठी है फ़िज़ाओं में एक रागिनीअम्बर से बरसने लगी है चाँदनीये हवाएं भी करती हैं सरगोशियाँघुल गई है नज़ारों में क्यों चाशनीअब सितारें भी उनका इंतज़ार करते हैंझुकी हुई नज़रों से ये इज़हार करते हैंखुद से ज्यादा उन्हें हम प्यार करते हैं,,,,,,,,।।सीमा “अपराजिता “
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बेहतरीन भावों से युक्त रचना……मुझे लगता आप “खुद से ज्यादा उन्हें हम प्यार करते हैं” को ऐसे लिखें अगर “खुद से ज्यादा हम उन्हें प्यार करते हैं” तो गेयता बढ़ती है….सोचिये….
धन्यवाद आपका सर ,,,,,
bhut khoobsurat git seema ji……………..
Bahut – bahut dhanywad mam …
सीमा जी…… बब्बू जी की बात बिल्कुल सही है…. इसमे हमें अधिक गेयता दिखती है। बहुत सुन्दर रचना।
Ji dhanyawad apka …Dono hi prakar se pankti laybadhh hai sir ,,,ye bat nirbhar karti hai ki ap kis lay me padh rahe hai …..
अति सुंदर प्रेम रचना …………..बहुत खूबसूरत !
Bahut bahut aabhar apka sir …
बहुत ही सुन्दर……………
Ati sundar prem geet Seema ji……
बहुत ही सुंदर रचना…… सीमा जी….