विजय कुमार सिंहvijaykumarsinghblog.wordpress.com
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Prakash parv par aapne puri itihash hi darz kar di bahut sunder chupai ke sath ……. badhai ho. aho bhagya jo darshan pawa swagat hai jo phir se aawa.
Thanks vijay jee.
Thanks a lot for reading and for your nice comment also.
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
Aapki yah kobbsoorat rachnaa pahle padh chuke hain Vijay. Prakash parv ki shubhkaamnaaen……
सत्य कहा आपने रचना पूर्व प्रकाशित है. पिछले वर्ष ३५० वां प्रकाश पर्व था. इस बार उसका शुकराना है इसलिए पुनः प्रकाशित किया है. आभार आपका.
सृजन पुराना है मगर कार्य इतना सुंदर है बार बार पढ़ने को मन करे ……………बहुत सुंदर !!
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
अति सुंदर…… काबिले तारीफ…. विजय जी….!!
सुन्दर और सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद
bhut khoobsurat aur mehnat se bhri rachana hai apki…gajab….
….
सुन्दर और सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद
नमन आपकी कलम को…..आपकी लेखनी को….हाँ एक बार चेक कर लें गुरु गोबिन्द सिंह जी के नाम में ‘व’ नहीं ‘ब’ आता है….
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
गोविन्द और गोबिंद दोनों ही प्रकार से नाम को लिखा जाता है. गुरु गोविन्द सिंह के नाम में अगर गोबिंद का प्रयोग है तो वही सही. अर्थ तो दोनों का ईश्वर से ही है. गोविन्द या गोबिंद, कृष्ण के नाम हैं और लोग उसी आधार पर अपने बच्चों का नामकरण करते हैं.