तेरी ज़ुल्फ़ों के लहराने से जब खुशबू निकलती हैतुझे अपना बना लूँ फिर तो हर धड़कन मचलती हैमिलन की आस हो मन में तो फिर दूरी है बेमानीजलधि में ही समाने को तो हर नदिया उछलती हैमुहब्बत के प्यासे को पिला दो चाहे तुम कुछ भीदीदार ए यार से ही फिर तो बस सेहत संभलती है जतन कर लो मगर इसको बुझा पाना नही मुमकिन अगन ये इश्क की दो सीनों में जब जब दहलती है लाख कोशिश करी मधुकर उल्फ़त के बिना जी लेंबिना गुजरे इन गलियों से तबीयत ना बहलती हैशिशिर मधुकर
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बहुत ही सुंदर गजल.
गजल मोहब्बत के दीवानों की कलम से यूँ ही निकलती है
पढ़नेवालों की जबान से तो बस वाह वाह निकलती है.
Tahe dil se shukriya Vijay …….
बहुत ही खूबसूरत…. प्रेमपूर्ण रचनात्मकता….. मधुकर जी..
Tahe dil se shukriya Kajal……….
behad khoobsoorat………….
तहे दिल से शुक्रिया बब्बू जी…….
bahut achchhi gazel ….. pyar ko byan karti ek tadap…… ek pyash.
Dhanyavaad Bindu ji ………
प्रेम भावो से परिपूर्ण खूबसूरत रचना ……….अति सुंदर !
Tahe dil se shukriya Nivatiya ji ……
bhut sundar gazal apki shishir sir…… khoob…………
Tahe dil se shukriya Madhu ji ……….
Bahut sundar Gazal, Shishir ji…
Bahut bahut dhanyavaad Anu …………