थका थका सा रहता हूँ ,मेरा दूर निकलना छूट गया ।चलता हूँ कुछ सम्हल सम्हल कर ,वेवक्त का फिसलना छूट गया ।करता हूँ अपनों को याद मैं , पर हर वक्त का जताना छूट गया । कहने लगा हूँ सच्ची बातें जब से , लोगों के दिल में ठिकाना छूट गया । उलझा रहा मैं जब लोगों की भीड़ में, मेरा खुद का घराना छूट गया । समझा नहीं था अकेला खुद को , पर अब खुद को फुसलाना छूट गया । सम्हाला सबके दिल को मैने , तो मेरा दिल ही सम्हलना छूट गया । थका थका सा रहता हूँ , मेरा दूर निकलना छूट गया ।। ” काजल सोनी “
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बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ.
फुर्सत का छण छूट गया
मेरा दूर निकलना छूट गया ।
तहे दिल आभार आपका विजय जी……
Bahut sundar or bahut real……
तहे दिल आभार आपका मधुकर जी………..
bahut hi sundar rachna,Kajol ji…
तहे दिल आभार आपका अनु जी………..
बहुत खूबसूरत काजल जी …………अपने वयस्त काल से कीमती क्षण रचना पटल को देना अच्छा लगा ……..!!
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका निवातिया जी……
अच्छे भाव पर बधाई।
यदि हो सके तो शिल्प पर और ध्यान दें।
सादर
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत आभार आपका
अरुण जी………
सौफीसदी यथार्थ को ब्यान करती…..लाजवाब रचना….अच्छा लगा रचना आपकी पढ़ कर….वैसे तो मैंने प्रतिकिर्या नहीं देनी थी जब तक आप मेरी पिछली सभी रचनाओं पर प्रतिकिर्या नहीं देती….पर रचना पढ़ के रहा नहीं गया….दे दी…..हाहाहा….
आपकी उत्साह वर्धक प्रतिकिया का तहे दिल बहुत बहुत आभार आपका शर्मा जी……..
आप चिंता न करें आपकी रचनाओं को पढें बिना और प्रतिकिया दिये बिना मुझसे भी रहा नहीं जायगा….
…..😃😃😃
आप चिंता न करें आपकी रचनाओं को पढें बिना और प्रतिकिया दिये बिना मुझसे भी रहा नहीं जायगा….
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बहुत ही सुन्दर काजल जी| बधाई |
तहे दिल से आभार आपका अरुण जी…….
व्यस्त जीवन का सुन्दर वर्णन
हृदयपटल को स्पर्श करती हुई आप और आपकी रचना
तहे दिल से शुक्रिया आपका अभिषेक जी……!!
bahut achchhi rachna ……bahut khubsoorat……
तहे दिल से आभार आपका शर्मा जी……..
wah….khoob kajal ji………………….
तहे दिल से आभार आपका मधु जी………