शीर्षक — कुछ तो कहानी थीतेरी -मेरी कुछ तो कहानी थीकुछ तो हुआ होगाजो तुम्हे जोड़ता था मुझसेमुझे जोड़ता था तुमसेमैं तो रस्ते का कोई फ़क़ीर थामेरे हाथों पे तेरे साथ का लकीर थातेरा प्यार ही तो मेरा तकदीर थाजो तुम थी तो मैं भी थामेरी साँसे थी साँसों में तेरा हिस्सा थाजुबां पे हर किसी के हमारे प्यार का किस्सा थाआँखे जज्बाते कह जाती थीधड़कने तेज हो जाती थीजुबां चिपक से जाते थेइशारों में ही बाते होती थीतुम बार बार दुपट्टा संभालती थीमैं कलम जानबुझ कर गिरा करचोर नजरो से तुम्हे देखता थाये प्यार ही तो थाजो तुम रास्ते पे चलते हुएसखियों से बात करते हुएमुड़-मुड़ कर मुझे ताकती थीकभी मुस्कुरा करकभी शर्मा कर सिर मुड़ा लेती थीये प्यार ही तो थातेरी मेरी कुछ तो कहानी थी–अभिषेक राजहंस
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A number of typ errors need improvement ……..
ओके सर
I will do it
It has not done properly
I will manage
sundar bhaav………….
अच्छे भाव किंतु और अच्छी हो सकती है अभिशेखजी ………
प्रेम भावो के जीवंत पलो को समेटने का अच्छा प्रयास !
Bahut khub.
सुंदर भाव……. सुंदर रचना…….!!