हे कुर्सी तू बहुत ही प्यारी है…तेरी लीला बहुत न्यारी है….तेरे जन्म पे मैं बलिहारी है…हे कुर्सी तू बहुत ही प्यारी है…अपना तेरा कोई धर्म नहीं…फिर भी दंगे हो जाए हैं…पल में दोस्त दुश्मन बनें…दुश्मन दोस्त हो जाए है…तेरी लीला बहुत न्यारी है….हे कुर्सी तू बहुत ही प्यारी है…अनपढ़ हो या हो विद्वान्…तू सबको आसन देती है…तेरे मोह से वो भी बच न पाए…जो नैतिकता का ठेका लेते हैं…तेरी लीला बहुत न्यारी है….हे कुर्सी तू बहुत ही प्यारी है…समय के साथ तू भी है बदली…नाटी, लंबी, मोटी कभी पतली…हो कैसी भी तू दिखती पर…लगती फिर भी प्यारी है…तेरी लीला बहुत न्यारी है….हे कुर्सी तू बहुत ही प्यारी है…कभी सजाया शिक्षक ने तो…कभी चोरों का मान बढ़ा…कभी नारियल से पूजा तुमको…कभी संसद में उछाल दिया…तेरी लीला बहुत न्यारी है….हे कुर्सी तू बहुत ही प्यारी है…समय समय के देव विराजे…मनुष्य, राक्षस गण भी साजे…लालच तुझ को पाने को…हर युग गए हथकंडे साधे…तेरी लीला बहुत न्यारी है….हे कुर्सी तू बहुत ही प्यारी है…जब तक तेरा मोह रहेगा…प्रजा से विछोह रहेगा…बैठे कोई नैतिक धनवान…फिर होगा सबका कल्याण….हे कुर्सी तू बहुत ही प्यारी है…तेरी लीला बहुत न्यारी है….\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
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Achcha vyang Babbu Ji…..
तहदिल आभार आपका….Madhukarji…
Very nice
तहदिल आभार आपका….Bhawana Kumariji….
Bahut Sundar, Sharma ji…
तहदिल आभार आपका…Anuji…
बहोत खूब …………
तहदिल आभार आपका…Shashikantji….
बहुत खूबसूरत ……….हर पहलु को छूती सुंदर भावाभिव्यक्ति ………..एक अच्छा विषय चुना आपने ……….बधाई आपको ….!!
ऐसे ही विषयो पर मैंने भी लिखने की कोशिश की है कई बार जैसे ‘ कलम का कमाल ‘ , ‘ कमल और गुलाब ‘ आदि कभी समय मिले तो पढियेगा जरूर ……वैसे संयोग ‘ के अंश शायद आपने पढ़े भी है !
तहदिल आभार आपका…..जी ज़रूर पढूंगा….Nivatiyaji…
Vyang ke madhyam se Sachchai ko ukerti bahut hi khubsurat Rachna Sir
तहदिल आभार आपका…..Guptaji….