*जयति जय जय माँ भारती..*जयति जय-जय माँ भारती,जन गण करें आरती।देव-धरा ये,वेद बखानी,मानस-गीता,गुरु की बानी|राम-लखन जहाँ वन-वन बिहरें,केशव बनें सारथी।जयति जय जय माँ भारती,जन गण करें आरती।सप्त नदी मिल लहरें कल-कल,कण-कण पावन,भावन निर्मल|यमुना की है शीतल धारा,भागीरथी तारती।जयति जय जय माँ भारती,जन गण करें आरती।भाँति-भाँति की भाषा बोली,एक सभी मिल बनें रँगोली।पूज्य सभी रूपों में नारी,लक्ष्मी औ दुर्गा सती|जयति जय जय माँ भारती,जन गण करें आरती।जयति जय …. -‘अरुण’
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
जय हो…..माँ भारती के स्वरुप की पावन स्तुति….बेहद उत्तम….
अपनी जानकारी के लिए सिर्फ पूछ रहा हूँ…..”एक सभी मिल बनें रँगोली” और “सभी मिल बनें एक रंगोली” में भाव एक ही रहता है या बदलता है….
जी
सादर आभार।
मेरे विचार से दोनों में पर्याप्त फर्क है। जहाँ एक शब्द के पहले आने से यह सब की एकता को या एकीकरण को व्यक्त करता है वहीं एक रंगोली का आशय किसी रंगोली को ही निर्दिष्ट करना है।
भाव पक्ष के अलावा शिल्प की दृष्टि से पदनुरूपता भंग हो रही है।
सादर
Uttam rachnaa Arun…..
सादर आभार सर
खुबसूरत रचना …….
धन्यवाद सर
अतिसुंदर ………..भावपूर्ण रचना !
आभार सर