आओ मिल सब, चाहत के, फूल हम खिलाए,न हम झगड़े, न ही और हम नफ़रत ही फैलाए|सामंजस्य अपना बना रहे, और एकता हम दिखलाए,किसी के फ़ायदे के लिए, हमे कोई अब न बिखराए|यह देश हमेशा रहेगा, यह बात अपनी सोच में लाए,जाती-धर्म से ऊपर, देश है, यह ख्याल हम रख पाए|शांति का हो माहौल यहाँ, न कोई हमें अब और बहकाएआओ मिल सब, अमन की खुशबु से, चमन को महकाए| अनु महेश्वरीचेन्नई
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wah………khoob lika apne anuji…………..
Thank You, Madhu ji…
शांति , सद्भाव, एकता , प्रेम और सौहार्द का संदेश देती खूबसूरत रचना…….!!
अनु जी कृपया हमारी रचना ” दिवंगतों को मत बदनाम करो ” और ” बार बार ” को नज़र कर अपने अमूल्य विचार साझा करे ।।
Thank You, Nivatiya ji…
सुन्दर विचार, व सुन्दर अभिव्यक्ति
Thank You, Vimal ji…
behad sundar rachna……………
Thank You, Sharmaji…
बहुत खूबसूरत अच्छी पहल।
Thank You, Bindeshwar ji…
बढ़िया सोच, काश ऐसा हो| कबीर से लेकर आज तक संवेदनशील ह्रदय कवि इसके लिए तड़पते रहे हैं, पर यह सब समाज पर कम और शासक वर्ग की नीयत पर ज्यादा निर्भर करता| समाज में तोडक शक्तियाँ और मार्क शक्तियाँ हमेशा शान्ति प्रिय ताकतों से ज्यादा ताकतवर होती हैं, पर एक कालखंड के लिए फिर शासक वर्ग में परिवर्तन होना अवश्यसंभावी है| कवि इसके लिए ही सृजन करता रहता है| आपको बधाई|
Thank You, Arun ji…
Very well said Anu. I had already read this work. Some how forgot to write comment.
Thank you, Shishir ji…aap guni jano ke comment ka intjar rahta hai…and it means a lot …