मैंने जाकर पूछा पंडित से दुःख दर्द कितने शेष रह जायेंगेएक भी गृह शेष बचेगा या सब मुझसे टकराएंगेकोई सरल सा उपाय बताकर मेरे दुःख दर्दों को दूर करोंवर्ना जल्द ही दिन आएगा जब आप मेरे जनाजे में जायेंगेबातें सुन सुुुन के मेरी पंडित लगा जोर से हँसनेऔर बोला अति मंद गति सेतुम्हारी हालत का उपाय तुम ही हो हम क्या तुम्हे बतायेंगेजाकर मेहबूबा से इजहार कर दो अब वो ही तुम्हे बचाएंगे कवि – मनुराज वार्ष्णेय
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bhut khoob prastuti ki apne………….
धन्यवाद मधु जी ….
अति सुंदर ।
धन्यवाद निवातिया जी
sahi kaha panditji ne…….hahahaha….
Hahaha …..
वाह किसी आधुनिक पंडित के पास तो नहीं गए थे न|
आधुनिक युग का आधुनिक पंडित ….. hahahaha