मुहब्बत करके जो मझधार में संग छोड़ जाते हैं लाख चाहा किया भूलें वो फिर भी याद आते हैं अगर बनता है हर इंसान केवल एक मिट्टी से कहो जज़्बात अपने दिल के वो कैसे छुपाते हैं हरे हैं घाव सीने के मगर उनकी ये फितरत है भूल के सारी पीड़ा को वो केवल मुस्कुराते हैं भले ही सामने सबके मैं पत्थर सा कहूँ खुद को मगर तन्हाई के आलम तो मुझको भी रुलाते हैं मुहब्बत जो भी करते हैं भुला सब कुछ यहाँ मधुकर बुरे हालात में भी साथ वो हर पल निभाते हैं शिशिर मधुकर
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hi…
this article is very nice
so cooolll..
So very nice of you Sanjana for lovely comment.
बहुत खूबसूरत गजल है हर बार की तरह सर…….
Tahe dil se shukriya Madhu ji …………
बेहद उम्दा….लाजवाब…….मुझे मकता उतना मार करता नहीं लगा जैसे ऊपर सब अशआर हैं….मोहब्बत करने वाले भूलते नहीं हैं…याद होता है पर उनकी सहनशीलता…धैर्य…और मुहब्बत का जूनून ही ऐसा होता है की वो जताते नहीं हैं…न दिखाते हैं…वो औरों से अलग होते हैं… बस…मैंने कभी कुछ लिखा था बहुत पहले एक शेर इस से मिलता जुलता याद आ रहा है….आपकी नज़र…पूरी ग़ज़ल मिली तो मंच पर सांझा करूंगा….
महब्बत करने वाले तो अलग ही साख़ रखते हैं….
जफ़ा करता है जो उनसे, उसी से प्यार करते हैं….
Tahe dil se shukriya Babbu ji. Aapki baat Kuch had tak sahi hai lekin yahan makte me shikaayta kaa bhaav sammilit kiya gaya hai.
बहुत खूबसूरत …………भावो का सही आंकलन ……यथार्थ को समेटे हुए ……………मक़ते की दूसरी पंक्ति को और बेहतर कर सकते थे ……………!!
Haardik aabhaar Nivatiya ji ………
सुन्दर है ..
Haardik aabhaar Arun Ji ……..
Bahut hi sundar rachna, Shishir ji..
Tahe dil se shukriya Anu ……….
अच्छी सुंदर भाव भीनी रचना ।
Dhanyavaad Bindu ji …….
Shishir ji apki kavita bahut kuch smjha jaati hai bahut achi lagi padh kar
Rachnaa pasand karne ke liye shukriya Vikram …….