जब भी मौसम ज़मीं पे अपनी फितरत को बदलते हैं मिलन की आस में यारां दिल के अरमान मचलते हैं किसी तपते बदन को जब जब फुहारें ठण्ड देती हैं ये बंधन प्यार के एक दूजे की बाहों में फिसलते हैं अब तो सूरज हुआ मद्धिम और रातें भी ठिठुरती हैं उनके आगोश की गर्मी से अब हम ना निकलते हैं जब खिले फूल बगिया में और मौसम भी अलसाया जाम पी के उनकी आँखों से हम हर पल संभलते हैं भरी गर्मी का मौसम है और वो नहीं पास में मधुकर घनी ज़ुल्फ़ों की छाया को तरसते हम तन्हा उबलते हैं शिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
Thand ke mausam me pyar par kavita
Sundar sir ati sundar
Dhanyavaad Abhishek…..
ati sundar…….
Haardik aabhaar Babbu Ji ……………….
मधुकर जी की रचना सर्दी में भी गर्मी का अहसास।
सुन्दर शब्द चित्रण।
Tahe dil se shukriya Ram Gopal ji.
sundar
Haardik aabhaar Arun ji.
ऋतू संग प्रेम के बदलते अहसास का सुंदर चित्रण ……..अति सुंदर !
Tahe dil se shukriya Nivatiya ji …….