नैना ” तुमको नैना में रहना , जाने को न कभी कहनाबैठा हूँ इंतजार में , तेरे प्यारे से मुखड़े के दीदार मेंमेरे जीवन की एक तू ही है कहानी , और नही कुछ भी वजहतेरे ही प्यार में दीवाने हुए , है नही खुद की परवाहये कहानी , रहेगी न अनजानी , इस दुनिया के दरबार मेतेरे प्यारे से मुखड़े के दीदार मेंनैना तुमको ……………………..फूलों की लड़ियों सी झूमती हो हरदम , महकाती हो ये जहांराहों के शूल भी बन जाते है फूल , चल देती हो तुम जहाँये बागानी , ये मौजों की रवानी , खिलेगी इस गुलज़ार मेंतेरे प्यारे से मुखड़े के दीदार मेंनैना तुमको…………………..जीवन के कितने है रंगीन चेहरे , मुझको तुमने ही दिखायाखेलती हँसती ही दुनिया मे जीना , ये भी तुमने ही सिखायाये मुलाकातें , ये प्यारी प्यारी बातें , मुझे मिली उपहार मेंतेरे प्यारे से मुखड़े के दीदार मेंनैना तुमको ……………….. कवि – मनुराज वार्ष्णेय
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sundar………
सुंदर रचना ……..!