नज़र मिलती है जब तुमसे तो तुम धीरे से हँसते होगुमां होता है ना तुमको तुम्हीं इस दिल में बसते होनशा होता है कुछ ऐसा मुहब्बत का तो दुनिया मेंपता होता है पीड़ा का मगर तुम फिर भी फँसते होलाख पहरे लगे हों दिल की सदा तो आ ही जाती हैमधुरता बढ़ती जाती है डोर जितना भी कसते हो फक़त दूरी बढ़ाने से दूरियाँ बढ़ ना जाती हैंछवि बस आँखों में भर के ही तुम हरपल तरसते होभले ही पास में मधुकर मेरे तुम आ ना पाते होमैं तुमको पा ही जाती हूँ जो मेघा बन बरसते होशिशिर मधुकर
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बहुत ही सुंदर रचना ……
Tahe dil se shukriya Manuraj………
Bahut hi Sunder Rachna Shishir Sahab
Tahe dil se shukriya Rajiv ji ……..
बेहतरीन रचना सात्विकता को दर्शाती बहुत खूब।
Rachnaa padhne or saraahne ke lie anekon aabhaar Bindu ji ……….
सुन्दर रोमांटिक |
Haardik aabhaar Arun Ji ……………
बेहद उम्दा………तीसरे और चौथे शेर के दूसरे मिसरे को कुछ मैंने ऐसे लिखा है…
लाख पहरे लगे हों दिल की सदा तो आ ही जाती है
मधुरता बढ़ती जाती है डोर ज्यूं ज्यूं कसते हो
मधुरता बढ़ जाती है और जब तुम डोर कसते हो…
फक़त दूरी बढ़ाने से दूरियाँ बढ़ ना जाती हैं
छवि आँखों में रहती है दिल में हरपल जो बसते हो
Tahe dil se shukriyaa Babbu Ji. Aapke sujhaav bhi atyant sundar hain. Mujhe unhen bhavishy me use karne ki izzazat den. vaise maine aur thodaa saa sudhaar kiyaa hai.
बेहद खूबसूरत …………सुंदर रचना ……..!
Tahe dil se shukriya Nivatiya ji …….
भले ही पास में मधुकर मेरे तुम आ ना पाते हो
मैं तुमको पा ही जाती हूँ जो मेघा बन बरसते हो
बेहद सुन्दर पंक्तियां मधुकर जी
Tahe dil se shukriya Ram Gopal ji…….
bhut sundar gazal hai shishir ji …………………..khoob.
Tahe dil se shukriya Madhu ji ………