राहो में चलता वो उँगलियाँ थामे
मंजिलो की ओर सरपट भागे-भागे
पीछे जो छुट जाऊं अगर कही मैं
वो परेशां सा इधर उधर ताके
वो कुछ मेरा सा
कुछ मैं उसका
कभी वो मुझे पढना चाहे
कभी मैं उस पर लिखना चाहूँ
कभी वो मेरे आंसुओ को पोछे
कभी मैं उसके गले लग जाऊं
चाहता हूँ हर डगर पर वो साथ चले
वो आए और गले से लगे
अगर टूटे कोई तारा कहीं
मांग लूँ रब से जो भी वो चाहे
मेरी साँसों में वो रहे हमेशा
बहती हवा उसे जा के सुनायें
वो दोस्त मेरा रहे हमेशा
दिल खुदा से यही तो मांगे।
bahut khoob………..
अति सुन्दर ……………सुंदरता और बढ़ेगी यदि आप भी सबको पढ़े और आपने विचार साझा करे !