रूह में न है खुदा तो, कौन है…तुम नहीं गर वो बताओ, कौन है….लफ्ज़ से वाकिफ नहीं हूँ, उससे मैं…लम्ज़ से मुझको दिखाओ, कौन है….हार कर मुँह फेर के बैठे हो क्यूँ….वक़्त से जीता बता, वो कौन है….बिखरी ज़ुल्फ़ें चहरा भी है बदगुमां….मौत सी खामोशियो, वो कौन है….इश्क़ का ये ज़हर ऐसा है ‘चन्दर’….जो न मर के जी उठे, वो कौन है…’चन्दर’ के सजदे ग़ज़ल में शेर के….रहनुमा ग़ालिब नहीं तो, कौन है….\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)लम्ज़ – स्पर्श
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बहुत सुंदर बब्बू जी, काबिले तारीफ…. बहुत बढ़िया।
तहदिल आभार आपका…….Binduji….
हर बार की तरह……. बहुत ही लाजवाब…… शर्मा जी…..
तहदिल आभार आपका…..Kajalji….
आपकी प्रस्तुती बेहतरीन है, पर
ऐ खुदा तेरे फैसले से शिकायत नहीं,
इतना तो समझे हैं कि तू कहीं नहीं,
तहदिल आभार आपका…..Shuklaji….
Behad sundar ghazal Babbu Ji …..
तहदिल आभार आपका….Madhukarji….
Dil ko chuti behad lajawab Rachna
तहदिल आभार आपका….Rajeevji….
सदैव की तरह एक और बेहतरीन प्रस्तुति …………..लाजबाब …………..!!
उत्साहवर्धन करती आपकी प्रतिकिर्या का तहदिल आभार……NIvatiyaji…