लकीर के फकीर
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अब से अच्छा तो, कल परसो का बीता जमाना थाअनपढ़, लाचारी में, लकीर के फकीर बन जाना थाक्या हुआ, पढ़-लिखकर, चाँद या मंगल पर बैठने सेजब होकर सभ्य,शिक्षित, यूँ अज्ञानी बन जाना था !!
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डी के निवातिया
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बहुत ही सही…….. दुनिया सचमुच बदल रही है…..
पढें लिखे लोगों में अज्ञानता अधिक नजर आ रही है…..
लाजवाब रचना……….. निवातिया जी…!!
अमूल्य वचनो के लिए तहदिल से शुक्रिया ……………..KAJAL.
लाजवाब कटाक्ष है….आज के सभ्य समाज पर….जो सभ्य…शिक्षित होने का दम्भ तो भरता है लेकिन खुद औरों के साथ अन्याय करता है बुरा करता है और कोई अवसर नहीं छोड़ता उल्लू सीधा करने का…जो नहीं करता वो परोक्ष रूप से साथ देता है…चुप्प रहता है….पहले लोग अशिक्षित कहे जाने वाले बुरा पहले किसी के साथ करते नहीं थे…जो करता था वो बोलते ज़रूर थे….और आगे जाएँ तो आज जो राह चलते बेटियों के साथ हो रहा है वो असभ्यता इस सभ्य समाज की ज्यादा दें है….
खूबसूरत …….विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया के साथ अमूल्य वचनो के लिए तहदिल से शुक्रिया ……………..बब्बू जी !
सटीक ..
अमूल्य वचनो के लिए तहदिल से शुक्रिया ……………..शुक्ला जी !
पढ़ लिखकर गढ्ढे में अपने को क्यों डाला रे…… हाय रे साथी…… हाय रे साथी ये क्या कर डाला रे….. बहुत बढ़िया… ।
खूबसूरत प्रतिक्रिया के साथ अमूल्य वचनो के लिए तहदिल से शुक्रिया ……………..बिंदु जी !
Well said . Education and knowledge have a lot of differences.
खूबसूरत प्रतिक्रिया के साथ अमूल्य वचनो के लिए तहदिल से शुक्रिया ……………..शिशिर जी !
True Words Nivitiya Sahab Bahut sunder Rachna
खूबसूरत प्रतिक्रिया के साथ अमूल्य वचनो के लिए तहदिल से शुक्रिया ……………..राजीव गुप्ता जी !