चाँद सा मुखड़ा भोली सी सूरत लगती सब को प्यारी किस्मत दे चमका जिसके भी है जाती दुःख सब के ले लेती खुद करती रौशन अपने कर्मो से अंधकार से भरे जग को परिवार के लिए जान अपनी कर देती है न्यौछावरअपनों की ख़ुशी में अपने दुखों है छुपा लेती न कभी है जताती हक अपना किसी वस्तु परअपनी जिंदगी को है करदेती समर्पित दूसरो के लिए नारी के आगे तो ईश्वर भी है झुकते इनके गुणगान करने की अमन ना इतनी हैसियत तेरी
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bahut sundar……………
Thanks ji
नारी सम्मान में समर्पित खूबसूरत भाव ……….. कहने का अंदाज़ सही तालमेल के साथ और बेहतर किया जा सकता था !
Thanks ji
बहुत सुन्दर…. बस तालमेल में कमी लगी…….!!
Thanks ji and aage se dyan rkhuga ji
अच्छी रचना है अमन जी ….
कृपया मेरी रचना ” क्यों बदली बदली नजरें है ” पर भी अपने अमूल्य विचार प्रतिपादित कीजिये …
Thanks ji
रचना सुन्दर है सिवाय ‘नारी के आगे तो ईश्वर भी झुकते हैं’ पंक्ति के | ईश्वर तो नारी को उपभोग और धोखा देने का काम ही किये हैं| धर्म ग्रन्थों को पढ़िए|
Thanks ji