जिंदगी ने जिस तरह हैरान हमको कर रक्खा हैमन कभी करता है मेरा जिंदगी की जान ले लूँदिल लगाकर कव किसी को चैन यारों मिल सका हैपूजते पत्थर जहाँ में, मैं पत्थरों की शान ले लूँहसरतें पूरी हो जव तो खूब भाती जिंदगी हैख्वाव दिल में पल रहे शख्श के अरमान ले लूँप्यार की बोली लगी है अब आज के इस दौर मेंप्यार पाने के लिए क्या कीमती सामान ले लूँहर कोई अपनी तरह से यार जीवन जी रहा हैजानकर इसको “मदन “जिंदगी का गान ले लूँमदन मोहन सक्सेना
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
सर बहुत ही अछे विचार है और मोहब्बत की सच्चाई
अति सुंदर …………!!
प्यार की बोली लगी है अब आज के इस दौर में
प्यार पाने के लिए क्या कीमती सामान ले लूँ
इन दोनों पंक्तियों का मेल कुछ समझ से परे लगा, जब प्यार को बोली लगी है अर्थात बात प्यार को खरीदने की हो रही है जो कभी खरीदा ही नहीं जा सकता, फिर उसको पाने के लिए किस कीमती सामान को लेने की बात हो रही है, और अगर कीमती सामान से आकर्षित होकर प्रेम प्रर्दशन करे वो प्रेम नहीं मात्र विलासिता जीवन को पाने का माध्यम हो सकता है !
sundar…..nivatiyaji ki baaton par gour karein….
बहुत ही सुंदर रचना….. सक्सेना जी………!!