1गुरु ज्ञान देता हैंहमें पहचान देता हैजिस धरा पे गुरु का मान होता हैवह इश्वर का स्थान होता हैहै अमृत नहीं क्षीर सागर मेंगुरुमुख में उसका निर्माण होता है 2हीरे तराशता है जौहरीगुरु हीरा निर्माण करता हैकुम्हार गढ़ता है मिट्टी कोगुरु इंसान गढ़ता हैइंसानों के वेश में गुरु भगवान् होता है 3गुरु जब चाणक्य होता हैशिष्य चन्द्रगुप्त महान होता हैवसिष्ठ ,विश्वामित्र गुरु हो जबतब शिष्य भारत वर्ष का श्रीराम होता हैगुरु जब पीठ थपथपाएशिष्य कुरुक्षेत्र जीत जाता है 4गुरु जीवन दर्शन कराता हैजीवन की बारीकियां सिखलाता हैगुरु आस होता हैगुरु विश्वास होता हैअज्ञान का अँधेरा मिटाने कोगुरु सूर्य सा उदयमान होता है
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत बढ़िया….”तब शिष्य भारत वर्ष का श्रीराम होता है”….मुझे लगता इसको ऐसे होना चाहये “तब शिष्य श्रीराम जैसा होता है” क्यूंकि राम जी सिर्फ भारत के नहीं वो पूरी विश्व मानवजाति के लिए हैं… और गुरु भी सीमित नहीं हैं…समामयिक या एक व्यक्ति विशेष….”गुरु” में “गु” का मतलब “अन्धकार” “रु” का अर्थ “प्रकाश”…आपकी इस पंक्ति से मैं सहमत नहीं हूँ “”गुरु सूर्य सा उदयमान होता है”….जब गुरु स्वयं ही प्रकाश है तो “सूर्य सा” क्यूँ ?….उम्मीद है मैं अपने विचारों को आप तक पहुंचा पाया….
बहुत ही सुंदर…… गुरु की बहुत सुंदर भक्ति…..!!
सुंदर रचना …………….बब्बू जी ने बड़ी सुंदरता से व्याख्या की है ………..अनुकरण करे !
Ati sundar Abhishek…………