चाँद सा चेहरा हिरनी – सी आँखे,थोड़ी झुकी नजरें वो राखे।मयूर सी चाल चिंता का पहरा,ना जाने कौन सा है राज गहरा।सीधी सीधी चाल साधारण से कपड़े,चिंता कोई चल रही उसे जकड़े।मुँह में तो जैसे जुबान ही नही,किसी से उसकी कोई जान ही नही।कभी हंसी उसके होंठो पर न आये,न जाने कौन सा दुख रहा सताय।कम बोलती जैसे जुबान नही निकली,देखा नही करते कभी किसी की चुगली।मस्तानी आँखे उसकी नाजुक सा चेहरा,घबराती ऐसे जैसे कर दिया ज़ख्म गहरा।न जाने कौन सी छुपाये बैठी है बात,इस ‘अनजानी लड़की’ का क्या है राज।।
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Ati sundar. Kisi ladki ke man ko samajhnaa vaastav me bahut mushkil kaary hai.
Very Very nice……. Poonam ji….!!
दूर किसी गाँव के किसी घर में
आज भी वो लड़की रहती है
बरसों पहले जिसे देखा था
आज भी वैसी ही दिखती है|
सुन्दर रचना है आपकी|
बेहद खूबसूरत……..
ह्रदय के भावो को सुंदरता से सजोया है आपने ….!