रुआना आ गया
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कागज़, कलम, दवात, डायरी के पन्ने,ये सब तो अब बीते ज़माने कि बाते हैव्हाट्सप्प, ट्वीटर, फेसबुक, भी छोडोवीडियो कॉलिंग का ज़माना आ गया !
कुछ दबे-कुचले, मैले, कागज़ के टुकड़ेमिले एक पुरानी संदूकची से मुझे आजलिपटे हुए उनमे कुछ भविष्य के ख्वाबदेख उन्हें भूत में तब्दील, रुआना आ गया !!
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डी के निवातिया
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बहुत सुंदर ख्याल के खिलते मुस्कराते नमुने। वर्तमान से भविष्य को निहारती जिंदगी…. वाह क्या ख्याल हैं आपके।
तहदिल से शुक्रिया आपका ……………Bindu JI.
सत्य को हूबहू परिभाषित कर दिया……बेहतरीन….
तहदिल से शुक्रिया आपका ……………BABBU JI.
Bahut sahi kaha Nivatiya Ji ……………..
तहदिल से शुक्रिया आपका ……………SHISHIR JI.
Very True, Nivatiya ji…
तहदिल से शुक्रिया आपका ……………ANU Ji.
वाकई ..बड़ा सच |
तहदिल से शुक्रिया आपका ……………SHUKLA JI.
बहुत ही खूबसूरत….. बिल्कुल सही कहा…. आपने…
तहदिल से शुक्रिया आपका ……………KAJAL JI.