भले ही मुद्दतों से हम ना तुमसे बात करते हैं तेरे ख़्वाबों में ही लेकिन बसर दिन रात करते हैं ये माना बाग़ उजड़ा है बहारें अब ना आती हैं उम्मीदें मन में रख मेघा फिर भी बरसात करते हैं जिन्हें इस ज़िन्दगी में प्यार में भगवान दिखता है हदें सब तोड़ कर वो फिर से मुलाक़ात करते हैं भूल कुछ हो गईं तुमसे चूक मैंने भी कर डालीं चलो फिर से मुहब्बत में नई शुरुआत करते हैं वक्त रुकता नहीं मधुकर ज़माना चाहे कुछ कर ले चलो हम तुम फिर से मिल के हसीं हालात करते हैं शिशिर मधुकर
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बहुत ही सुंदर कृति अच्छी पृष्ठभूमि। मैंने अपनी रचना ठीक की है कृपया देख लें।
Haardik aabhaar Bindu ji. Apni rachnaa me mere sujhaav on ko shaamil Karne ke lie shukriya …..
बहुत सुन्दर रचना ……………गजब शिशिर जी…………….
Tahe dil se shukriya Madhu ji ……..
बहुत खुबसूरत रचना।
Dhanyavaad Bhavna ji ………
Bahut Sundar rachna, Shishir ji…
Tahe dil se shukriya Anu ……
सुन्दर ..
Dhanyavaad Arun ji ……..
Madhukar ji very nice…….
Bahut bahut dhanyavaad Anand Kumar ji …….
बहुत खूबसूरत…………….मुझे लगता यह पंक्ति “सभी हद तोड़ कर भी वो तो मुलाक़ात करते हैं” ऐसे होनी चाहये….”सभी हदें तोड़ कर वो तो मुलाक़ात करते हैं”
Haardik aabhaar Babbu Ji. Aapke ssujhaav ke anusaar maine kuch parivartan kiyaa hai. Asha hai aapko pasand aaegaa.
बहुत ही बढ़िया…एक दम दुरुस्त… हाहाहा
बेहद खूबसूरत शिशिर जी !
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………………
लाजवाब शिशिर साब
Tahe dil se shukriya Inder……