हजारों मंजिलें मिलेंगी तुम्हें पाने के लिए,परेशानियां इम्तिहान लेगीं आजमाने के लिए ।रास्ते टेढ़े-मेढ़े भले ही हों इस ज़माने के लिए ,जिंदगी मिलती है सभी को सुलझाने के लिए।सर्वेश कुमार मारुत
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nice lines………………
Bahut Sundar…
बहुत बहुत अच्छी पंक्तियां।
Pahli line me manzilen shabd nahin jancha. Yadi aise likho to kaisaa hai
“Hazaaron padaav aaenge jeevan me tu he pane ke lie “
सर्वेश्वर जी मंजिल एक बार मिलने के बाद कुछ बचता जहां है| मधुकर जी ने पड़ाव शब्द सुझाया है | वैसे वहां , वहां रुकावटें या मुश्किलें भा आ सकता है| करकर देखिये| वजन आ जायगा|
sundar…..gunijanon ke sujhaav pe gor kariyeaga…..
अच्छा विचार ……..गुणीजनों के सुझावों पर गौर करे !