वक़्त का बहाना बना करजो खींच दी तुमने लकीरजो बना ली दूरियाँमैं सब समझता हूँ साजिश तेरीएक पल ऐसा भी थाजब तुमने खुद बाँधी थीमेरी कलाई पर घडीमेरे वक़्त ने मुझसे बेवफाई क्या कीतुमने तो किनारा कर लियातुमने क्यों फाड़ दिया मेरा वो आखरी ख़तजज्बातो के संग कुछ दर्द क्या बयां कियातुम तो नजरे चुराने लगीमाना की तुम्हारी दी गयी घड़ी नेमेरा समय बर्बाद कर दियापर उसी घड़ी ने हमें मिलाया भी थामेरे देर से आने पर ही तुमने दी थी वो घड़ीअब तुम तो नहीं रही मेरी ज़िन्दगी मेंपर तुम्हारी याद दिलाती हैतुम्हारी दी हुई घडी— अभिषेक राजहंस
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अति सुन्दर
very nice ……………………………………
Bahut Sundar…
अच्छी सोच सुंदर रचना ।
Good expression of sentiments……..
माना की तुम्हारी दी गयी घड़ी ने
मेरा समय बर्बाद कर दिया, ऐसा हो सकता है क्या? रचना ठीक है|
ati sundar……….
अति सुंदर