अमावस की रात को चाँद का गायब होनाकोई बात नहींजहरीली हवाओं की धुंध इतनी छाईपूनम की रात को भी चाँद गायब हो गया|दिल में सभी के मोहब्बत रहती हैकोई नई बात नहींहमने मोहब्बत इंसानियत से कीये गज़ब हो गया| कहते हैं दर्द बयां करने से कम होता हैहमने बयां कियादर्द तो कम न हुआलोगों ने शायर बना दिया| इश्क-रश्क-माशूक की मोहताज नहींशायरी वो ज़ज्बा है ‘अरुण’मशाल भी है, इंक़लाब भी है,सरफरोशी का हौसला भी है शायरी|अरुण कान्त शुक्ला, 8/11/2017
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यथार्थ परक भाव …………..अति उत्तम शुक्ला जी ……….!
मेरी रचना ” आला-रे आला ” के भावो को नजर कर अपने अमूल्य विचारो से अनुग्रहित करे !
bhut bdhiya bhav hai apki rachana me arun kant ji…………
आप दोनों को धन्यवाद |
bahut khoob……………..
बहुत खूबसूरत अति सुंदर…. अरूण जी।
.”हमने मोहब्बत इंसानियत से की”…bahut sundar , Arun ji…
Ati sundar Arun ji…….