दर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता हैबक्त कब किसका हुआ जो अब मेरा होगाबुरे बक्त को जानकर सब्र किया मैनेंकिसी को चाहतें रहना कोई गुनाह तो नहींचाहत का इज़हार न करने का गुनाह किया मैंनेरिश्तों की जमा पूंजी मुझे बेहतर कौन जानेगातन्हा रहकर जिंदगी में गुजारा किया मैंनेअब तू भी है तेरी यादों की खुशबु भी हैदूर रहकर तेरी याद में हर पल जिया मैनेंदर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता हैजब दर्द को दबा जानकार पिया मैंनेमदन मोहन सक्सेना
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bhut badhiya bhav purn rachana apki……… khoob likha hai apne………. meri kavita ….manvta pa path……ye bhi padhe…….
सुन्दर..
……….अति सुंदर !
ख़ूबसूरत भाव