कब तक चलता रहेगा यह सब,अपने फायदे की सोचती, सोच,कब विराम लगेगा, इस पे,कब तक समाज और सरकार को,दोषी ठहराते रहेंगे हम,कब अपनी ज़िम्मेदारी समझेंगे,कब तक बहकावे में आते रहेंगे,क्यों नहीं इस्तेमाल करते अपना विवेक,क्यों हम बचते रहते अपनी जिम्मेदारियों से,कब तक सुनते रहेंगे बेमतलब की बहस,कब तक अपनी आँखो पे पट्टी बांध,न देखने का दिखावा करेंगे,क्या बुरा न देखने से,सब कुछ ठीक हो जाएगा?कब तक अपने कान पे हाथ रख,बुरा न सुनने का दिखावा करेंगे,क्या बुरा न सुनने से,सब कुछ ठीक हो जाएगा?अब समय आगया,अपनी आँखे खोलने का,बुरा देखना अगर नहीं है,बुरा होने से रोकना भी सीखना है,बुरा सुनना अगर नहीं है,बुरा बोलने वालो को भी रोकना है,माना की बहुत मुश्किल है,पर नामुमकिन तो नहीं है…. अनु महेश्वरीचेन्नई
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आदि काल से काबिल लोग परम्परागत समाज को अच्छे निर्देशों से अवगत कराया है। यह सिलसिला लगातार चलता रहेगा। अनु जी आपने सही कहा है कि बुरी आदतों को बदलकर नयी सोच की तरफ अगर्सर करनी चाहिए। बहुत सुन्दर सही कहा आपने।
Thank you, Bindeshwar ji…
बात तो यही है….हम अपनी तरफ न देख कर दूसरों की गलतियां निकाल कर अपनी से बचना चाहते….ये प्रविर्ती तो सदा से रही है….वर्तमान में कुछ ज़्यादा बढ़ी है…हर कोई अगर सामान्य रूप में भी कर्त्तव्य पालन करे तो बहुत कुछ सुधर सकता जैसे…अपने घर की हम सफाई करते हैं तो कोशिश करें अपने आस पास कचरा न फेंके…अगर घर में हम कूड़ा कचरा नहीं बिखेरते तो बाहर सड़क पे गली में क्यूँ….ये आदत अपनी पाली हुई है….और इसको बदलने की कोशिश भी नहीं करते हम….
Thank you, Sharma ji…
बहुत खूबसूरत चिंतन आपका …………….और ये तब तक चलता रहेगा जब तक इंसान का स्वार्थ निहित होगा ……….अच्छे विचार निस्वार्थ मन में उत्पन्न होते है, जहा स्वार्थ पनपता है वही इंसान अच्छे बुरे से पहले खुद के फायदे की सोचने लगता है …. अति सुंदर !
रचना आला-रे-आला आपकी प्रतिक्रिया हेतु प्रतीक्षारत है कृपया नजर करे !
Thank you, Nivatiya ji…
सुन्दर..
Thank you, Arun ji…
अति सुन्दर विचारात्मक रचना, अनु जी।
Thank you Ram Gopal ji…
Well said Anu. But life is both simple and complicated……..
Thank Shishir ji…Sayad life to simple hi hai hum sab ne complicate banali…
behad sundar bhav …….behtrin rachana anu ji…….sikh bhri kavita apki…….
meri rachana…… manvta ka path bhi padhe.
Thank you, Madhu ji..aapki rachna Maine padhi hai. Bahut sundar likha hai aapne…
ab samay aa gaya…namumkin kuch bhi nahi. bohot umda anu mam.
Thank you, Nitesh ji…