शोर बहुत था कि आम अब बबूल पे लगने वाले हैं…दिन हरेक के कुछ इस तरह से बदलने वाले हैं….आम आदमी तो खजूर में अटक के रह गया, पर…सुना है गधों के बाद कुत्तों के दिन फिरने वाले हैं…\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
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bahut achchhi vyang babbu jee. aap mere likhe doho ko phir se najar andaz karen maine kush badlaw kiyen hain kripaya aap ki marg darshan chahiye.
तहदिल आभार आपका बिंदुजी…..
nice lines sharma sir ji…………………….
तहदिल आभार आपका….Madhuji…
Nice sarcasm….
तहदिल आभार आपका….Anuji….
वाह क्या खूबसूरत व्यंग भरा कटाक्ष किया है …………..बहुत खूबसूरत …………सही कहा आपने………धरातल पर यही हो रहा है……………..अति सुंदर !!
सत्य कहते आप……..तहदिल आभार आपका….Nivatiyaji….
वाह..
तहदिल आभार आपका….Arunji….
अति सुन्दर व्यंग्य रचना। Sharma ji
तहदिल आभार आपका….Gopalji…..
Lovely sarcasm Babbu ji…..but social changes do not occur overnight.Human dynamics is a very complicated issue to deal with that too in a highly divided society like ours.
तहदिल आभार आपका…मधुकरजी…आप सौफीसदी सत्य कहते हैं….समय लगता है बहुत सी चीज़ों को ठीक होने में….और कई बार कई वर्ष तक लग जाते प्रभाव दिखने में…पर मेरा मानना है की बहुत सी चीज़ों को एक दम हाथ डालने से परिणाम बुरे न हों तो बहुत अच्छे भी नहीं होते….जो कहीं न कहीं दूसरों को अवसर प्रदान करते हैं फ़ायदा उठाने का….और ऐसे समय में जो व्यक्ति अच्छा कर रहा होता है…उसको सपोर्ट बंद हो जाती या कम हो जाती….और यहाँ व्यक्ति पूजा राजनीति में बहुत है….आज सर पे बिठा लेंगे कल वही एक दम पटक देते…
लाजवाब………..!!
तहदिल आभार आपका….Kaajalji….