💐परिवार💐…मधु तिवारीहो जाते हैं एक कभी औऱ कभी तकरार हैएक दूजे की कभी खिंचाई कभी हो बेहद प्यार हैसंग संग रहते हैं सभी अलग अलग विचार हैकभी कोई बेकसुर हो तो कोई गुनहगार हैएक दुखी हो ,तो सबके बहते नयनधार हैकोई सफल हो तो सबकी खुशियाँ पारावार हैजीवन नैया की केवल एकता ही पतवार हैएक ना हो अगर कहीं सब डूबे मझधार हैछोटी छोटी खुशियाँ ही होता यहाँ आधार हैबड़े बड़े दुखों से वे एक हो पाते पार हैंअभी लड़ाई हो अगर अगले पल मनुहार हैदूर अगर जाए कोई मदद को सब तैयार हैंकुछ भी औऱ नहीं है ये यहि तो घर संसार हैअहमियत सदा जिसकी प्यारा अपना परिवार है……मधु तिवारी,कपसदा,दुर्ग, छत्तीसगढ़💐💐💐💐🙏🏻
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Ekdam saty………………
thank you sir……………..
आपने प्रकाशित की नई रचना
जिसका निकलता सार है।
इसीलिए प्रतिक्रिया के लिए
मधुजी यह ‘गोपी* तैयार है।
।
बहुत सुन्दर प्रेरक रचना।
बहुत बहुत आभार गोपी जी……………..
परिवार की महत्ता पर सुंदर प्रकाश डाला आपने …………वास्तव में यही परिवार होता है……………अति सुंदर मधु जी
bhut bhut aabhar nivatiya ji…………………
Bahut Sundar rachna, Madhu ji…
thanks anu ji utsahwardhan hetu………………….
अति सुन्दर रचना
thanks kiran ji utsahwardhan ke liye……………
खट्टे….मीठे…अनुभव जीवन के….यही परिवार होता है….और ये सब भारत में ही है परिवार की महत्ता …..बेहद खूबसूरत…..
बहुत बहुत आभार सर आपका उत्साहित करने हेतु………………..
बेहद सुंदर और सटीक रचना, समाज और परिवार के लिए।
आभार आपका शर्मा जी……….