बीती रात हुआ सवेरा प्यार की आहें और भरीडग मग डग मग डरे पाव से पहुँच गया मैं प्रेम नगरीउसकी सूरत ही सब कुछ देख जिसे मैं चहक उठामौन हो गया देख उसे और मेरी नजरे भी ठहरी
कवि – मनुराज वार्ष्णेय
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ati sundar……….
बहुत बहुत आभार babu cm ji…..
सुन्दर
धन्यवाद RAM GOPAL ji …..
अति सुंदर ……………..और बेहतर कर सकते थे …!
धन्यवाद निवातिया जी ….
सुन्दर रचना ,,,,,,,,
आपका आभार किरन जी …..