आधी अधूरी अंग्रेजी बोल, ज्ञानी खुद को है माने,राम को कहे है देखो रामा,और वेद को कहे है वेदा|अपने गलतियों से मुँह मोड़, ज़माने में ढूंढे है ऐब,हवाएँ तो बहती अब भी वही,खोट आगई है नियत में ही|न जाने किस राह पर, चल पड़े है सब,भूल, अपनी संस्कृति और संस्कृत,अब तो खो रहे संस्कार भी| अनु महेश्वरीचेन्नई
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Kuch had tak sahi kaha aapne Anu. Pr parivartan ko accept karnaa hi padtaa hai. Kuch achchaiyan bhi badalte vast ke sang zaroor aai hain.
Thank you, Shishir ji…
sahi kaha apne anu ji ………wakai me yhi ho raha hai…… khoobsurat rachana apki……
Thank you, Madhu ji…
अनुजी….बहुत ही सार्थक बात कही है आपने…..बधाई…आज कल भेड़ चाल है…और मैं कई व्यक्तियों को देखता हूँ वो विदेशी जैसे राम को या कृष्ण को बोलते वैसे ही बोलना शुरू कर देते….कुछ तो राम को रामो भी बोलते हैं….अजीब सा ढोंग पनप रहा है…..
Thank you, Sharma ji…
Ati Uttam Annu Ji
Thank you, Ram Gopal ji…
संस्कृत कभी भी जनभाषा नहीं रही| भाषा की उत्पत्ति और विकास समय काल और व्यवसाय के आधार पर होती है और शक्तिशाली की संस्कृति हमेशा दुर्बल की संस्कृति बनती है| आज गाँव देहात के सरकारी स्कूलों में भी अंग्रेजी पढाई जा रही है और यह रोजगार के साथ जुडी है| अंग्रेजी का मजाक बनाकर या उपहास उड़ाकर इसे दूर नहीं भगाया जा सकता | इसके लिए राजनेताओं में साहस नहीं है क्योंकि वे यूरोप की गोद में बैठे हैं| जहां से पैसा आयेगा, वहां से भाषा और संस्कृति दोनों आयेंगी वे अच्छी या बुरी दोनों हो सकती हैं| भाषा का रहन-सहन से गहरी ताल्लुक है और भारतीय अपना रहन-सहन नहीं बदलना चाहते हैं| अमेरिका सहित विदेशों में करोड़ों भारतीय है और मोदी जी उनके बीच जाकर गर्व अनुभव करते हैं| केवल भावनात्मक होने से काम नहीं चलता|
Thank you, Arun ji…
अति सुंदर सृजन ………..लकीर के फ़कीर वालो का यही हाल है जो बिना सोचे समझे कुछ भी बस अंधी घुड़ दौड़ में शामिल है !
Thank you, Nivatiya ji…
अच्छे संस्कार हों तो अच्छे समाज का नि्रमाण होता है ,,,,,बहुत सुन्दर
Thank you, Kiran ji…