स्वप्न देखा था कभी जो आज हर धडकन में है एक नया भारत बनाने का इरादा मन में हैएक नया भारत, कि जिसमें एक नया विश्वास होजिसकी आंखों में चमक हो, एक नया उल्लास होहो जहां सम्मान हर एक जाति, हर एक धर्म कासब समर्पित हों जिसे, वह लक्ष्य जिसके पास होएक नया अभिमान अपने देश के जन-जन में है एक नया भारत बनाने का इरादा मन में हैबढ रहे हैं हम प्रगति की ओर, जिस रफतार सेकर रहा है नमन, यह विश्व भी उस पार सेपर अधूरी है विजय जब तक गरीबी है यहांमुक्त करना है हमें अब देश को इस भार सेएक नया संकल्प सा अब तो यहां जीवन में है एक नया भारत बनाने का इरादा मन में हैभूख जो जड से मिटा दे, वह उगाना है हमेंप्यास ना बाकी रहे, वह जल बहाना है हमेंजो प्रगति से जोड दे, ऐसा सडक ही चाहिएदेश सारा गा सके वह गीत गाना है हमेंएक नया संगीत देखो आज कण-कण में है एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है -अटल बिहारी वाजपेयी
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
bahut khoobsurat rachna hai ye vajpayee ji ki……
धन्यवाद नितेश जी।
आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी की लेखनी को नमन करते हैं। उनके उत्तम स्वास्थ्य की ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
आप सभी कवियों से अनुरोध के कि अटल जी की कविता में कमेन्ट करके इस रचना को इस वेबसाइट पर लोकप्रिय कविता की श्रेणी में ला देंगे तो आपकी लोकप्रियता कुछ कम नहीं होगी। खैर …………………………… यह मेरा निवेदन है मानना न मानना आपकी इच्छा। सादर निवेदन।
हमारी खुशनसीबी है गोपाल जी जो आपके जरिये आदरणीय अटल जी की कविता पढ़ने को मिली….. बहुत ही खूबसूरत कविता सुन्दर भाव से पूर्ण है ……बधाई आपको…….
बहुत बहुत धन्यवाद मधु जी।
ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा भारत में जो अटल जी को नापसंद करता हो…. करिश्माई अंदाज़ है उनका…बोलने का…राजनीति में ऐसे नैतिक मूल्यों के धनी व्यक्ति बहुत ही कम हैं….और उनके व्यक्तित्व की छाप उनकी लेखनी में है…..भगवान् उनको शीघ्र स्वस्थ लाभ दे….
शर्मा जी, आपकी बात का मैं भी समर्थन करता हूं । लेकिन नीचे अरूण शुक्ला जी की प्रतिक्रिया पर भी कुछ कहिए। धन्यवाद शर्मा जी।
पर, वे जीवन पर्यंत जिस दल में रहे, वह उनके विचारों को तब भी नहीं मानता था और वे भी लिखते कुछ और थे और समर्थन किसी और बात का करते थे | थोथी कविता है| केवल बात करने वाली | मुंह में राम बगल में छुरी याने अटल जी की यह कविता |
अटल जी की बेहतरीन कविता है ‘तीन बुलाये तेरह आये, दे दाल में पानी’|
‘तीन बुलाये तेरह आये, दे दाल में पानी’
अरूण सर उक्त कविता आपके पास हो तो इस वेबसाईट पर प्रकाशित करने का श्रम करावें। धन्यवाद।
व्यक्तित्व के तौर पर अटल जी ने अपनी अलग पहचान बनाई है
मेरा मानना है कि लेखन और राजनीति ..दोनों अलग धाराएं है, यह विवशता है कि राजनीति के साथ, पद, प्रतिष्ठा और दल कि आन-बाण के लिए व्यक्ति निजी स्वार्थ में पडकर अपनी वास्तिकता को कही दबा लेता है या छुपा लेता है या उसका समय अनुरूप प्रयोग करना उचित समझने लगता है अपितु साहित्य प्रेम, कविताएं आदि आत्मा से जुड़े विषय होते है !!
साहित्य, कविताएं आपने आत्मा से जुड़ा विषय कहा है। यह तो देश का सौभाग्य ही रहा है कि इस तरह का एक व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री रहा जो हमारी (कवियों की) धारा का रहा है। धन्यवाद निवातिया जी।
धन्यवाद गोपालजी,
मैं कई सालोंसे इस कविता को खोज रहा था,
आज जाकर ये आपके माध्यम से मुझे प्राप्त हुई है।
मैं बहुत छोटा था जब उनकी जुबानी किसी प्रचार सभा के दौरान ये कविता टीव्ही पर दूरदर्शन के माध्यम से प्रसारित हुई थी। २००४ के चुनाव अभियान में महाराष्ट्र में जो पर्चियां बाटी गयी थी उन पर्चियों पर ये कविता छापी गयी थी। मैन वो पर्ची अपने किताबो में संभालकर रखी थी। मगर वो गुम हो गयी। मैं २०११ से इस कविता की खोज कर रहा था। इस चक्कर मे मैने अटलजी के आवास पर संपर्क भी किया था। उनकी तरफ से डायमंड बुक से संपर्क करने की सलाह दी गयी थी मगर उनसे भी संपर्क नही हो पाया।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद…!!!
अगर आप वो व्हिडियो के बारे में जानते हो तो कृपया उसकी जानकारी मुझे दे….