वज़ह
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बिना वज़ह ये सुबह शाम नहीं होतीहर एक शै: जग में आम नहीं होती !जी लो हर एक पल को फिर हो न होजिंदगी किसी की गुलाम नहीं होती !!
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डी के निवातिया
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अति सुन्दर भावविभोर करती एक अच्छी कृति ।
सतत उत्साहवर्धन करने के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….Bindu ji.
Bahut khoob ………………
सतत उत्साहवर्धन करने के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….SHISHIR JI.
bahut khubsurat….
सतत उत्साहवर्धन करने के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….JUBER
behad khoobsoorat…..uttam sandesh parak………….
सतत उत्साहवर्धन करने के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….BABBU JI.
वाहहहहहहह…… बेहतरीन….. निवातिया जी…..
सतत उत्साहवर्धन करने के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका ………….लम्बे अंतराल के बाद आपकी प्रतिक्रिया पाकर अति प्रसन्नता हुई ……….साहित्य पटल पर आपकी कमी खलती है ………..आशा करते है आप सकुशल होंगी !
Bahut sundar…
सतत उत्साहवर्धन करने के लिए तहदिल से शुक्रिया आपका …………ANU JI.