रावण मार के घर को आये,खुशी हुई बड़ी भारी….दीप जलाके मने दीवाली,फैल रही उजियाली…मात कैकई वर मांगा था,राम जाये वन को…सुन माँ की इच्छा खातिर,छोड़ दिया था घर को…आगे चले थे लक्ष्मण भाई,पीछे उनकी नारी…रावण मार के घर को आये,खुशी हुई बड़ी भारी….दीप जलाके मने दीवाली,फैल रही उजियाली…वन माता करे स्वागत,पंचवटी में कुटि बनाई…धोखे से हुआ हरण सीता का,रावण ने की छलाई…पाप मिटा के भगवन मेरे,बन गए उपकारी…रावण मार के घर को आये,खुशी हुई बड़ी भारी….दीप जलाके मने दीवाली,फैल रही उजियाली…महल सुखों का छोड के, वन राह पकड़ ली…शाही वस्त्र पकवान छोड़ के, पितर्वचन राह पकड़ ली…आज वापस आये हमरे,प्यारे धनुष धारी…रावण मार के घर को आये,खुशी हुई बड़ी भारी….दीप जलाके मने दीवाली,फैल रही उजियाली…रावण मार के घर को आये,खुशी हुई बड़ी भारी….
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haardik shubhkaamnaayein……………
bhut khoob …………………..
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