मन का अंधियारा दूर करनेमन का अंधियारा दूर करनेजैसे ही जला लोगे तुम एक दीपअपने मन मेंपहुँच जायेंगी दीप पर्व की शुभकामनाएंतुम्हारी मुझ तक एक पल मेंप्रकाश नहीं देखता किसी की हैसियतरोशन करता हर कोना एक समानप्रेम उमड़ना चाहिएतुम्हारे मन में भी वैसा हीसमझो, सब हैं सिर्फ इंसानक्यों भेद इतना तुम्हारीकथनी और करनी मेंरावण भी भला था तुमसेदस मुख और एक बातनहीं भेद था उसकी कथनी और करनी मेंहमें गर्व है अपनी धरोहर परहम नहीं इतिहास से शर्मिंदापर होंगी, आने वाली पीढ़ियाँ बहुत शर्मिंदापढ़ेंगी जब वर्तमान कोहोगा जो, उनके लिए तुम्हारा इतिहासजिसने कहा जब तुमसेतुम अच्छा बोलते होक्या उसने यह नहीं बताया किवाचालता, सीमा से परेमूर्खता का कराती है अहसासअरुण कान्त शुक्ला, 18/10/2017
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Bahut khub happy diwali
ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
आप सभी को दीपावली की हार्दिक बधाई और धन्यवाद|
वर्तमान में दोहरी मानसिकता को उजागर करती खूबसूरत रचना…..हार्दिक शुभकामनायें……
Parv ke maadhyam se behtreen vynag Arun Ji ……