अपने कलुषित अंतरतम मेंउज्ज्वल ज्योति जलाऊँगीज्ञान की ओजस किरणों सेमन का अंधकार मिटाऊँगीइस बार दीवाली पर खुद ही मैं एक दीपक बन जाऊँगी,,,,,,,,अम्बर से लेकर अवनि तक चहुँ दिशि उजियारा फैलाऊँगीचाँद-सितारों सी जगमग होगीमैं प्रेम का दीप जलाऊँगीप्रेम के उज्ज्वल दीपक कीमैं खुद ज्योति बन जाऊँगीइस बार दीवाली पर खुद ही मैं एक दीपक बन जाऊँगी,,,,,,,,,ईर्ष्या ,द्वेष, क्रोध और कामहै अंधकार का दूजा नामप्रेम की पावन गंगा के संगइन सब पर विजय पा जाऊँगीजीवन के हर रंगमंच की मैं खुद रंगोली बन जाऊँगीइस बार दीवाली पर खुद ही मैं “दीपावली “बन जाऊँगी,,,,,।सीमा “अपराजिता “
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत खूबसूरत …….उत्तम भावो से सजी सुंदर रचनात्मकता …………दीपावली की हार्दिक बधाई आपको !
धन्यवाद और आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,,,
वाह क्या बात है …………………………………….. बहुत खूब सीमा जी !!
धन्यवाद आपका ।।
अति सुन्दर. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
धन्यवाद ,,,आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,,,
अति सुन्दर……..दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….
धन्यवाद ,,,आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,,,
ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई.
Thanku so much
Babur sundar racha ,,,,,,,,,Deepawali ki bahut saari shubh kamnayen
Dhanywad kiran ji
Bahut sundar rachna ,( correction )
सुन्दर रचना सीमा जी
Dhanywad
Sundar bhaav Seema Ji ……..
Dhanyawad ..