लोकतंत्र मेंसंघर्षऔर संघर्षप्रत्येक संघर्ष का लक्ष्य विजयविजय का अर्थदो वक्त की रोटी/ दो कपड़े /सर पर छतअभावहीन जीवन जीने की चाहतबनी रहेगी जब तकविजय का अर्थजारी रहेगा संघर्ष तब तकसंघर्ष निरंतर हैसंघर्ष नियति हैलोकतंत्र में|क्लेशऔर क्लेशउत्सवधर्मी देश मेंक्लेश/संताप/विहलता से ही संघर्षरत रहनाबना रहेगा जब तक जीवन का अर्थआते रहेंगे दिवाली/ईद/क्रिसमस/होलीमाथे पर शिकनें लिएजो खोती रहेंगी बाजार मेंजो है आज का परम सत्यक्लेश/संताप/विहलता से दूरअपने में मस्तलोकतंत्र में|स्वतंत्रता, समानता और भाईचारालोकतंत्र का नाराखो चुका अपना अर्थलोकतंत्र बन गया है दासधनपति बने हैं उसके स्वामीवंचितों और उत्पीड़ितों के सीने परनृत्य कर रहे समर्थजब तक प्राप्त नहीं कर लेतालोकतंत्र अपना खोया नारा औरबनी रहेगी आमजनों में जब तकस्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की अभिलाषाजारी रहेगा वंचितों का संघर्षअनवरतलोकतंत्र में|15 अगस्त26 जनवरीभुला दिए गए सन्दर्भों के उत्सवरह गए हैं बस बनकर सरकारी समारोहमनाये जाते हैं ‘लोक’ से दूर‘लोक’ जंजीरों में जकड़ापड़ा है समारोहों से दूरकाट नहीं लेगा जब तक अपनी जंजीरें‘लोक’ रहेगा संघर्षरतइन जंजीरों के खिलाफअनवरतलोकतंत्र में|अरुण कान्त शुक्ला, 8/10/2017
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
यथार्थ पर आधारित बहुत ही सुंदर समकालिन रचना की प्रस्तुति श्री मान जी।
yathaarth ke dharaatal pe likhi….laajwaab kataaksh…..
Ekdam saty paraak uttam rachnaa Arun Ji ………
Bahut sundar….
बहुत ख़ूब ………………. !!
सही फ़रमाया आपने ……………..अति सुंदर ………………
आप सभी बंधुओं का ह्रदय से आभार ..