शीर्षक-बेटा तुम लौट आनाजैसे पंछी अँधेरे होते लौट आतेतुम भी घर लौट आनाबेटा तुम लौट आनाइस दिवाली लौट आनाअपने हाथो से दीये जलानासुना हैशहरों में रौशनी बहुत हैबेटा अपने बाबा के लिएआँखों की रौशनी खरीद लानाबेटा तुम लौट आनासुना हैशहरों में मिनरल वाटर पीते है सबघर के पिछवाड़े का आम का पेड़ सूख गया है बेटाथोड़ी पानी उसे भी पिला देनाउसकी हरियाली लौटा देनाबेटा तुम लौट आनासुना हैशहरों में भीड़ बहुत हैबेटा भीड़ में गम ना हो जानागाँव का रास्ता भूल मत जानाबेटा तुम लौट आनासुना हैशहरों में बीमारी का इलाज़ बहुत हैबेटा दम फूलने की बिमारी जाती नहींशहर से सांस खींचने वाला पंप लेते आनातुम मेरी सांस बन कर आनासांस टूटने से पहले आनाबेटा तुम लौट आनाबेटा घर लौट आना—अभिषेक राजहंस
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atyant marmik rachana………………
Mam aapke hirday se sukriya
बहुत बढ़िया ……………….अभिषेक जी!!
Aapka dil se aabhar
माँ के दिल की पुकार और भरोसा अपने बेटे पर ,,,,,,,,,अति सुन्दर
उत्साहवर्धन के लिए आपका धन्यवाद
आपने फाजली साहब की याद ताजा कर दी |
धन्यवाद सर
उन महान सक्शियत के जैसा मैं कैसे लिख सकता हूँ