दिल मेरा तुझ बिन किसी हाल बहलाया न गया…भीड़ में हो के भी तनहा मन छुपाया न गया…चाँद चेहरे पे सितारों से चमकते ये नयना…लाख कोशिश की मगर उन से बचाया न गया….कुछ तो हम ऐसे कि जां अपनी पे लेलें हर सितम…और कुछ तुम से भी साथ मेरा निभाया न गया….था तो इक सागर मगर बेखबर अपने ही से वो ….प्यास अपनी ही को खुद से भी बुझाया न गया…है खुदा रौशन हरेक शै में जहॉं भर में यहां…खोट दिल रखके कहीं भी तो वो पाया न गया….दिल के आईने में तस्वीर तेरी काबिज है “चँदर “..दिल हुआ टुकड़े कई तुझको मिटाया न गया…\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
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Beautiful poem Babbu JI
तहदिल आभार आपका…..Kiranji….
बहुत खूब बब्बू जी …………..बड़ी सुंदर बात कही आपने …………सात्विक प्रेम कब मिट पाता है ………….वो तो अजर अमर होता …………….लेकिन खोट हो तो नामो निशाँ नहीं मिलता ………..अति सुंदर !
बिकुल सही कथन आपका….तहदिल आभार आपका…..Nivatiyaji….
Behtreen rachnaa ……..
तहदिल आभार आपका…..Madhukarji….
bhut khoobsurat alfaazo ke sath bhav dristavy hai…….
तहदिल आभार आपका….Madhuji….
दिल के आईने में तस्वीर तेरी काबिज है “चँदर “.. bahut achhey kathya , ati sunder.
तहदिल आभार आपका…..Binduji….
वाह ………………… कमाल ……………. शर्मा जी !!
तहदिल आभार आपका…..Sarvjit ji….