१.गिरा दो ये इमारतें बंदिश की,रूह का लगाव इस जिस्म से अब सहा नहीं जाता।जलने दो रिवाजों के इस जर्जर मकान को धूँ धूँ करके ,जाहिलों की बस्ती में अब रहा नही जाता।।
२.गुरूर का ये घरौंदा बड़ा ही मजबूत निकला।खुदगर्जी की दीवारें एक एक कर सब ढह गई, पर ये नहीहिला ज़रा सा भी।।
३.बूँद बूँद रिसती हैं यादें ,जैसे स्याही में हों लिपटी।कभी कहानी बन कागज़ पे बिखरी तो कभी कांटा बन मन में चुभती हैं ये यादें।।४.सच क्या है?जुबाँ है जो बोलती या आँखे हैे जो देखती।या सच वो है जो सच तो है पर तेरा या मेरा सच नहीं।या फिर वो सच है जो सच होकर भी सच नहीं।
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Beautiful…………………..!
Ati sundar ……
bahut khoob…..
Bahut sunder bhav.
Very nice.
Bahut sundar…