मेरे हाथों में तेरा हाथ… जब भी आता है मैं दिल के पास हूँ तेरे..पता चल जाता है तेरे सीने से लग…मुझको सुकून मिलता है सारे ग़म छोड़ के…ये मन भी मुस्कुराता है कई साथी मिला करते हैं….राहे उल्फ़त मेंहर कोई ना मगर..वफ़ाओं के गीत गाता है किसी की सांस में जो सांस अपनी घुल जाएवो इत्तफाक नहीं….जन्मों का एक नाता है कई ग़म यूँ तो खुल के आएं हैं मेरे हिस्से मेंअपने वादों को मगर..मधुकर सदा निभाता हैशिशिर मधुकर
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बहुत सुंदर अनुभूति शिशिर जी ।
Tahe dil se shukriya Bindu Ji ……….
बेहद खूबसूरत…..ग़ज़ल विजयजी से छीन के ही रहेंगे आप…..हाहाहा….
एक शेर आपने जो लिखा है –
कई साथी मिला करते हैं….राहे उल्फ़त में
हर कोई ना मगर..वफ़ाओं के गीत गाता है
देखने में कुछ भी बुरा नहीं है पर मेरे ख्याल में जब साथी मिलते हैं राह में जैसे हम वफ़ा की उम्मीद करते हैं वो भी उसी तरह से करते हैं सब…. . दिल क्यूंकि नहीं मिलता तो वफ़ा या जफ़ा का ज़िकर आता है…अगर मिलता होता तो ये दोनों शब्द नहीं होते…मुझे लगता इसको ऐसा होना चाहये….
कई साथी मिला करते हैं….राहे उल्फ़त में
मन का मीत मगर हर कोई न बन पाता है
मन का मीत लेकिन कोई ही बन पाता है
क्या ख्याल है….सर बुरा मत मानना बस…ख्याल चाहे मत बताना….हाहाहा
Babbu Ji aapki observations bahut relevany hain. Mujhe inhen bhi is ghazal me upyukt tareeke se upyog karne kee izaazat de. Aaapke sujhavon kaa main tahe dil se sadaiv swagat kartaa hun jisse mujhe bahut kuch seekhne ko miltaa hai.
ख्याल अच्छा है ……….अति सुंदर .शिशिर जी !!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji …………….
Ati sunder…………………..Too jafa kare main wafa karoon.
Tahe dil se shukriya Vijay ………..
Bahut sundar, Shishir ji…
Bahut bahut shukriya Anu ………
बेहद खूबसूरत ……………………………………. मधुकर जी !!
Tahe dil se shukriya Sarvjeet…….
bhut sundar gazal hai sir hr bar ki tarah……………..
Tahe dil se shukriya aadarneey Madhu ji ……….