चमन ने बहार से पूछा कब तलक आओगीतय वक़्त गुजर गया अब कितना सताओगीउम्र गुजरी जन्म गुजरे गुजरगयी ख्वाहिशें गर्द तलाश रही है क्या अपना पता बताओगी.विजय कुमार सिंहvijaykumarsinghblog.wordpress.com
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Tadap ki behad sundar prastuti Vijay………….
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
बहुत खूबसूरत – वहार कहीं चली गई चमन से रुठकर……
लोग क्यों ले जाते हैं हमें लूटकर। मैं आती तो आप संहाल नहीं पाते… इसलिए मैं अब मर रही हूँ घूंटकर। धन्यवाद विजय जी।
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
वह क्या बात है ……………….अति सुंदर !
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
Bahut sundar…
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
वाह ! अत्यंत सूंदर पंक्तियाँ हैं विजय जी. लाजवाब………..
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
बहुत सुंदर पंक्तियाँ 💐💐
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
waah…kya baat hai……behad khoobsoorat………
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
बहुत ही बढ़िया ………………………………… विजय जी !!
आपकी सुन्दर और अत्यंत सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.