सदा चुप रहने वाले जिससे खुल के बात करते हैं बसर उसकी मुहब्बत में ही वो दिन रात करते हैं दिल के हाथों यहाँ मजबूर… सारे हो ही जाते हैं लाख पहरे हों दुनिया के…पर मुलाक़ात करते हैं पता चल जाता है उनको दीवाने की जो हालत का कई नखरे सताने को… फिर तो हज़रात करते हैं हर समय प्रेम सीने में दफ़न करना नहीं मुमकिन घिर आते हैं घने बादल..तो फिर बरसात करते हैं मुहब्बत हो गई उनसे…..तो उनका हाल ऐसा है बड़े बेख़ौफ़ होके मधुकर…..वो सवालात करते हैं शिशिर मधुकर
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बहुत खूबसूरत अच्छी कृति
Dhanyavaad Bindu ji ………
Bahut sundar, Shishir ji…
Dhanyavaad Anu ……….
शिशिर जी सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई.
Tahe dil se shukriya Salim Bhai ……….
Bahut sundar Shishir JI
Tahe dil se shukriya aadarneey Kiran ji ………
बहुत खूबसूरत….”हज़रात” शब्द का मतलब वहां समझ नहीं आया…. मेरी जानकारी में हज़रात एक सम्मान का सूचक है जो सामने उपस्थित हों उनके लिए उपयुक्त करते….हो सकता अधूरी है जानकारी… कृपया रौशनी डालें…
Dhanyavaad Babbu Ji. Aaapka kathan ekdam sahi hai . Hazraat sammaan soochak shabd hee hai. Lekin bolchaal kee bhaasha me jisse ham bahut betakalluf hote hai use bhi aisaa kahkar sambodhidh karte hain.
बहुत खूबसूरत ………………..!!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji …………………
एक से बढ़कर एक शेर मधुकर जी | पूरी गजल बढ़िया बनी है| बधाई..|
Tahe dil se shukriya Arun Ji ………
बहुत ही बढ़िया …………………………………………………… मधुकर जी !!
Tahe dil se shukriya Sarvjeet……….