मुझे नहीं पतामैं रहता कहाँ हूँखुद को भुला करढूंडता क्या हूँकिस्से अपने जज्बातो केमैं कहता कहाँ हूँमैं सुनाता कहाँ हूँहै दर्द तुमने दिए कितनेसितम ढाए चाहे कितनेमैं तेरी बेवफाई बताता कहाँ हूँजो खाए कसमे जो निभाए वादेमैं तोड़ता कहाँ हूँजख्म -ए -निशां जो तूने दिएमैं मरहम लगाता कहाँ हूँइश्क के जोर में जो तुमने हुस्न -ऐ – जहर पिलायामयखाने के जाम में नशे में चूर होता कहाँ हूँखाके-सुपुर्द होने की चाहत मेंतेरी याद में दफ़न होता कहाँ हूँतेरे बिना मैं जीता कहाँ हूँतेरे बिना मरता कहाँ हूँघर तो बनाया मैंने तेरे दिल में पर तेरे दिल मेंमैं रहता कहाँ हूँ—-अभिषेक राजहंस
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Full of pain of separation……
bhut sundar rachana …………………..
Very Nice ………………………………… .
Bahut sunder……………………..